आज मानसी का पेपर था, मानस सुबह के समय छोड़ने आया था, अतः मानसी आश्वस्त थी कि वह लेने भी आयेगा। आज मानसी का पेपर था, मानस सुबह के समय छोड़ने आया था, अतः मानसी आश्वस्त थी कि वह ...
मर्द के वेश मे यहाँ बहुत नामर्द घूमते हैं। मर्द के वेश मे यहाँ बहुत नामर्द घूमते हैं।
लेखक: सिर्गइ नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: सिर्गइ नोसव अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
इतने में मेरी बस भी आ गयी! ज़ोया की प्यास तो घर जाकर मिट गयी होगी पर जो आपसी रिश्तों के दरमियान दूरी... इतने में मेरी बस भी आ गयी! ज़ोया की प्यास तो घर जाकर मिट गयी होगी पर जो आपसी रिश...